एक साल पहले हादसा समझ पुलिस ने बंद कर दी फाइल, अब हुआ खुलासा, पति ने शक में की थी दोस्त की हत्या
By: Ankur Sat, 24 Oct 2020 4:31:53
कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं जब पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाती हैं और फाइल बंद कर दी जाती हैं। ऐसा ही एक मामला उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले में सामने आया था जिसमें कैंपियरगंज इलाके के धरमपुर गांव के राजबारी टोला निवासी बब्बन मौर्या का शव करीब एक साल पहले उसके घर के पास मिला था। अब एक साल बाद इस घटना का क्राइम ब्रांच ने पर्दाफाश करते हुए आरोपी को दबोच लिया है। पता चला है कि बब्बन के दोस्त ने पत्नी से अवैध संबंध के शक में उसकी हत्या कर दी थी।
इस मामले को हादसा बताकर पुलिस दो बार फाइनल रिपोर्ट लगाकर फाइल बंद कर चुकी थी। एसएसपी ने एक बार फिर फाइल खुलवाकर मामले की जांच क्राइम ब्रांच से कराई तो हत्या के साक्ष्य मिले। पुलिस इस मामले के दूसरे आरोपी की तलाश में जुटी है। एसएसपी जोगेंद्र कुमार और एसपी क्राइम आलोक वर्मा ने प्रेस कांफ्रेंस कर घटना का पर्दाफाश किया। अफसरों ने बताया कि 3 जून 2019 को बब्बन मौर्या का शव उसके घर के पास ही मिला था। इसमें पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था, लेकिन फिर जांच में यह कहते हुए फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी कि शराब के नशे में सड़क पर गिर जाने से बब्बन के सिर में चोट लग गई और उसकी मौत हो गई। इस मामले की फाइल दोबारा क्राइम ब्रांच में खोली गई तो एक बार फिर यही रिपोर्ट लगाकर फाइल को बंद कर दिया गया।
जिन्होंने दो बार एफआर लगाई, उन पर होनी चाहिए कार्रवाई
मामला एसएसपी जोगेंद्र कुमार के संज्ञान में आया तो उन्होंने इसकी फाइल को फिर से खोलने का आदेश दिया। क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अजय कुमार मौर्या को विवेचना सौंपी गई और जांच आगे बढ़ी तो पता चला कि घटना वाले दिन बब्बन अपने दो दोस्तों के साथ शराब पीने गया था। बाद में दोनों दोस्तों ने बाइक पर बीच में बब्बन को बैठा लिया और फिर रास्ते में उसकी हत्या कर दी। पकड़े गए आरोपी से पूछताछ में पता चला है कि उसे यह शक रहता था कि उसकी पत्नी का अवैध संबंध बब्बन से है। इसी शक में उसने बब्बन की हत्या कर दी।
इस मामले के पर्दाफाश होने के साथ एक बात तो साफ हो गई कि जिन पुलिसवालों ने दो बार मामले में एफआर लगाई, उन्होंने तथ्यों की अनदेखी की। यह अनदेखी भी इतनी बड़ी थी कि कत्ल करने वाला बेदाग बचा जा रहा था। खैर, अब जब मामला खुल गया तो उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई बनती है, जिन्होंने मामले को रफादफा कर दिया था। नासमझी से हुआ तो वे पुलिस विभाग में काम करने लायक नहीं और जानबूझकर अनदेखी हुई तो जेल जाना चाहिए।
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